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कोरोना के साथ एक और आफत:रात ठंडी, दिन गर्म; प्रदेश वायरल की गिरफ्त में, बुखार भी तेज और 10-10 दिन, कोरोना व डेंगू भी निगेटिव


राजधानी में पिछले 10 दिनों में 25 हजार से ज्यादा वायरल फीवर के मरीज आ चुके हैं। अंबेडकर के अलावा एम्स, जिला अस्पताल, आयुर्वेद व निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या 25 फीसदी से ज्यादा है। मेडिसिन, जिरिएट्रिक के अलावा श्वसन रोग व पीडियाट्रिक विभाग में बच्चे ही नहीं बड़े व बुजुर्ग भी वायरल फीवर से पीड़ित है। इनमें 10 से 15 फीसदी मरीज 5 दिनों बाद दोबारा ओपीडी में आ रहे हैं। यानी बुखार, सर्दी व खांसी 8 से 10 दिनों में भी ठीक नहीं हो रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि ऐसे लोगों की कोरोना व डेंगू रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।

राजधानी में सप्ताहभर पहले दिन का अधिकतम तापमान 35 डिग्री व रात का तापमान 25 डिग्री के आसपास था। अब दिन का तापमान 33 व रात का तापमान 22 डिग्री के आसपास आ गया है। डॉक्टरों के अनुसार तापमान में अचानक आई कमी के कारण बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती है। वे मौसम के बदलाव में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

अंबेडकर अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग की ओपीडी में गत शुक्रवार को 225 बच्चों का इलाज किया गया। इसमें 60 से 70 बच्चे वायरल फीवर से पीड़ित थे। पीडियाट्रिक विभाग की एचओडी डॉ. शारजा फुलझेले ने बताया कि वायरल फीवर से प्रभावित होने वाले बच्चों में नवजात से लेकर 14 वर्ष तक के बालक शामिल हैं। कुछ बच्चों की मां व पिता भी वायरल फीवर से पीड़ित आ रहे हैं। बच्चों को जरूरी दवा के साथ भाप देने कहा जा रहा है, जिससे संक्रमण जल्दी ठीक हो। कुछ परिजन मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर खिला रहे थे, उन्हें ऐसा करने से मना किया गया।

  • ऐसी समस्या: 8 से 10 दिनों में भी ठीक नहीं हो रहा बुखार, सर्दी और खांसी
  • अलर्ट भी: लापरवाही नहीं करें, फीवर व खांसी आए तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं

एक के बाद घर के सभी सदस्य हो रहे हैं बीमार
चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ. आरके पंडा व सीनियर मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि वायरल फीवर से प्रभावित होने वाले बच्चों में नवजात से लेकर 14 वर्ष तक के बालक शामिल हैं। एक घर में अगर किसी को वायरल फीवर हो रहा है तो बारी-बारी से या एक साथ सभी इससे प्रभावित हो रहे हैं। वयस्कों में भी यही स्थिति है।

बुजुर्गों की ओपीडी में भी ज्यादातर मरीज वायरल फीवर से पीड़ित हैं। डॉक्टरों के अनुसार जो लोग मेडिकल स्टोर से लक्षण के अनुसार दवा लेकर खा रहे हैं, वे जल्दी ठीक नहीं हो रहे हैं। कुछ मरीजों ने एंटीबायोटिक टेबलेट दिन में दो से तीन बार खाने की बात भी कही। ये गलत है। एंटी बायोटिक दिन में एक या दो बार ही लेना है। डॉक्टर मरीज की बीमारी के अनुसार डोज तय करता है।

प्रदेश में 99.5 फीसदी रिपोर्ट निगेटिव
वायरल फीवर में कई डॉक्टर लोगों को कोरोना व डेंगू टेस्ट कराने को कह रहे हैं। राहत की बात ये है कि ऐसे 99.5 फीसदी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। दरअसल कोरोना व डेंगू में बुखार भी लक्षण है। निजी अस्पतालों के डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र नायक व डॉ. युसूफ मेमन के अनुसार उनके अस्पताल में वायरल फीवर के मरीज आ रहे हैं, लेकिन कोरोना व डेंगू की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। सावधानी के लिए ये टेस्ट कराना जरूरी है। साथ ही सेहत के लिए अलर्ट रहना होगा।

बुखार के बाद खांसी कर रही परेशान
इन दिनों वायरल फीवर वालों को बुखार ज्यादा रहता है। फीवर ठीक हो रहा है तो खांसी आ रही है। सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. सुनील रामनानी व सीनियर चेस्ट सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार बुखार तो ठीक हो जाता है, लेकिन गले व छाती में इंफेक्शन के कारण मरीज को खांसी आती है। यह खांसी भी 10 से 15 दिनों तक रह रही है। सामान्यत: वायरल फीवर के तीसरे दिन खांसी आती है। इस बार वायरल फीवर के बाद लंबे समय तक खांसी रह रही है। लोग गुनगुना पानी पीकर भाप लें तो इसमें राहत मिल सकती है।

बिलासपुर; 15 दिन में 13 हजार मरीज पहुंचे अस्पतालों में
बिलासपुर में अस्पतालों से लिए गए आंकड़े बता रहे हैं कि बीते 15 दिनों में 13 हजार से अधिक मरीज शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे हैं। डाक्टरों के मुताबिक इनमें बच्चों की संख्या 55 प्रतिशत स अधिक है। लोग चाार-पांच दिन का बुखार बता रहे हैं इसलिए डाक्टर कोरोना और डेंगू की जांच भी करवा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।

अपोलो के एक्सपर्ट डॉक्टर मनोज राय का कहना है कि मौसमी बीमारी से बचाने के लिए मास्क लगाएं। घर के आसपास पानी जमा न होने दें और बारिश के पानी में भींगने से बचें। इसी तरह, सिम्स के डॉ. पंकज टेम्भुनिकर ने बताया कि जिन लोगों की इम्युनिटी कम है, उन्हें परेशानी ज्यादा हो रही है। यह सिलसिला कुछ दिन और चल सकता है। जिला अस्पताल के डॉक्टर अनिल गुप्ता कहते हैं कि बदलते मौसम में गुनगुना पानी ही पीना चाहिए और कोशिश करना चाहिए कि बाहर का खाना ना खाएं ।

भिलाई; कई की तबीयत सुधरने में ही लग गए 15 दिन
दो-चार दिन की दवा लेने से ठीक हो जाने वाला वायरल बुखार आजकल 10 से 15 दिनों तक भर्ती कर इलाज करने के बाद छोड़ रहा है। वायरल 10% मरीजों को सांस में तकलीफ होने के कारण आईसीयू की आवश्यकता भी पड़ी है। दुर्ग-भिलाई के हर निजी व सरकारी अस्पताल में इस तरह के वायरल बुखार से पीड़ित 10 से 15 मरीज अस्पतालो में भर्ती हैं।

इनको न तो कोरोना है, न ही डेंगू फिर भी हालत गंभीर है। खांसी बनी रहने के साथ ही अत्यधिक कमजोरी होने से इन मरीजों को थोड़ा भी चलने फिरने में परेशानी हो रही है। कुछ मरीजों को वायरल निमोनिया भी हुआ है। छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. तिलेश खुसरो अपनी मर्जी से दवा लेने की वजह से भी हालात बिगड़े हैं। ठीक नहीं होने के कारण दोबारा दवा शुरू करनी पड़ रही है, जिससे ठीक होने में समय लग रहा है।