छत्तीसगढ़ का पहला फूड पार्क 6 माह में:गोल्डन लाख से रोशन होगा 1000 महिलाओं का परिवार; 20 करोड़ रुपए के वनोपज की प्रोसेसिंग होगी

 


अगर सब कुछ सही रहा तो 6 महीने बाद छत्तीसगढ़ का पहला फूड पार्क गरियाबंद के देवभोग में शुरू हो जाएगा। इस पार्क का सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को मिलने वाला है। वह न सिर्फ यहां काम करेंगी, बल्कि उनकी हिस्सेदारी भी होगी। गोल्डन लाख और चिरौंजी की प्रोसेसिंग उनके परिवार को रोशन करने के साथ ही किस्मत भी बदलने वाली है। एक अनुमान के मुताबिक, 20 करोड़ के वनोपज की प्रोसेसिंग हर साल होगी।

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ की ओर से देवभोग में बनाए जा रहे वनोपज आधारित फूड पार्क को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। इसके लिए क्षेत्र के 100 महिला समूहों का चयन किया गया है। कोशिश है कि हर गांव से एक समूह का चयन किया जाए। इन समूहों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। खास बात यह है कि समूहों में काम करने वाली महिलाएं इसमें हिस्सेदार भी होंगी। यानी संग्राहक महिलाएं अब ज्यादा मुनाफा कमाएंगी।

गोल्डन लाख, नीम, चिरौंजी और दलहन की होगी प्रोसेसिंग
वनोपज संघ के अपर प्रबंधक बी आंनद बाबू ने बताया कि देवभोग में लाख, चिरौंजी और नीम बीज प्रसंस्करण के तीन यूनिट के अलावा कृषि उत्पाद दलहन तिलहन का भी प्रोसेसिंग की जाएगी। इसके लिए देवभोग के फोकटपारा में 4 एकड़ जमीन आरक्षित कर, इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम शुरू कर दिया गया है। काम शुरू होने से पहले विभिन्न चरणों पर सर्वे कर उत्पादों की जानकारी से लेकर अब तक बाजार के सारे गणित भूगोल तैयार किए गए जा हे हैं, ताकि योजना की सफलता में कोई बाधा न आए।

महिलाओं को इस तरह मिलेगा फायदा
उत्पादन क्षेत्र में रहने वाले महिला स्व सहायता समूह वनोपज की खरीदी कर केंद्र में भेजेंगे। खरीदी के लिए उन्हें लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा खुद का अंश राशि भी लगानी होगी। उद्योग चलाने में संग्राहक सदस्य, वन श्री समूह की भी आर्थिक भागीदारी होगी। शेयर मार्केट की तरह जिन-जिन की भागीदारी होगी उनको लाभ की राशि लागत के अनुपात में मिलेगी। इसको लेकर कई समूह ने अपनी सहमति भी जता दी है।

  • महिलाएं 400 रुपए किलो लाख बेचती हैं। प्रोसेसिंग के बाद इसकी कीमत 1200 से 1500 रुपए किलो मिलेगी।
  • एमएसपी रेट से कम में खरीदते थे, अब निर्धारित दर पर बिकेगा।
  • संग्राहक सिर्फ उपज बेचते थे, अब लाभ में भी हिस्सेदारी मिलेगी।
  • यूनिट के संचालन में महिलाओं की भागीदारी रहेगी।
  • प्रोसेसिंग के बाद बाजार का इंतजाम सरकार करेगी, महिलाओं को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
  • लाख को सरकार ने खेती का दर्जा दे दिया है। इसके लिए भी अब केसीसी लोन मिल सकेगा।

कुसमी की लाख, नेशनल मार्केट में कही जाती है गोल्डन
देवभोग परिक्षेत्र में उत्पादित होने वाली कुसमी लाख ने देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। नेशनल मार्केट में इसे गोल्डन लाख के नाम से जाना जाता है। फिलहाल इसका उत्पादन 3 से 5 हजार पेड़ों में है। पिछले सीजन में 2 हजार क्विंटल लाख का उत्पादन हुआ, जो 400 रुपए प्रति किलो बिका था। प्रोसेसिंग के बाद इसी लाख की कीमत 1200 से 1500 रुपए किलो हो जाएगी। अभी तक इसका फायदा बाजार को मिलता था, अब महिलाओं को मिलेगा।