मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संसद के शीतकालीन सत्र से पहले राष्ट्रीय राजधानी के चार दिवसीय दौरे पर

 



नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संसद के शीतकालीन सत्र से पहले राष्ट्रीय राजधानी के चार दिवसीय दौरे पर सोमवार को दिल्ली पहुंच रही हैं। ममता बनर्जी के दिल्ली आने से पहले उनके सांसदों को भी यहां पहुंचने का निर्देश मिल गया है। ममता का दिल्ली दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब त्रिपुरा में पश्चिम बंगाल युवा इकाई की अध्यक्ष सयानी घोष को शनिवार रात मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को धमकी देने के आरोप में हत्या के प्रयास की धाराओं में गिरफ्तार कर लिया गया है। जहां इस सप्ताह के अंत में निकाय चुनाव होने हैं और टीएमसी और भाजपा दोनों पार्टियों एक-दूसरे पर जमकर प्रहार कर रही हैं। दूसरी तरफ 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है, जिसमें सरकार को विपक्ष के कई सवालों से जूझना है।

इस साल अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल के चुनावों में उनकी पार्टी की शानदार जीत के बाद ममता बनर्जी का राष्ट्रीय राजधानी का यह दूसरा दौरा होगा। जब से टीएमसी ने इस साल बंगाल में बड़ी जीत दर्ज की है, बनर्जी को उनकी पार्टी  2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा विरोधी मोर्चे की अगुआ और प्रधान मंत्री उम्मीदवार के चेहरे के रूप में आगे बढ़ा रही है। ममता ने अपने पिछले दौरे में ही यह साफ कर दिया था कि वे हर दो महीने पर दिल्ली आएंगी। हालांकि जुलाई के बाद वे अब दिल्ली पहुंच रही हैं।

माहौल बना रहीं ममता

राजनीति के जानकार कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराने के बाद ममता दिल्ली बार-बार इसलिए आ रही हैं कि वे यह माहौल बनाना चाहती हैं कि विपक्ष का सबसे ताकतवर चेहरा वही हैं। हमने टीएमसी के कुछ सांसदों, पार्टी नेताओं और राजनीतिक जानकारों से बातचीत के आधार पर यह नतीजा निकाला है कि ममता के दिल्ली दौरे में वैसे तो कई मुद्दों पर चर्चा होनी है लेकिन उनके दौरे में पांच महत्वपूर्ण एजेंडा शामिल है। 

1.संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार की चौतरफा घेराबंदी

टीएमसी सुप्रीमो विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को संसद के घेरने की एक संयुक्त रणनीति बना सकती हैं। माना जा रहा है कि तीन कृषि कानूनों  को वापिस लिए जाने के पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद संसद का यह शीतकालीन सत्र तूफानी होने वाला है, जिसमें विपक्ष सरकार की चौतरफा घेरेबंदी की तैयारी कर रहा है। ममता उसी घेरे को मजबूत करने के लिए विपक्षी नेताओं से बात करेंगी। 

2. विपक्षी एकता को ताकत

सरकार को घेरने और संसद के शीतकालीन सत्र के लिए रणनीति बनाने के तहत ममता बनर्जी विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए पहुंच रही हैं। वे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तीसरी बार जीत के ठीक बाद भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की वकालत करती रही हैं। ममता का दिल्ली दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं। जिसमें ममता की पार्टी अगले साल होने वाले गोवा विधानसभा में भी उतर रही है।

सूत्र बताते हैं कि ममता बनर्जी का जोर इस बात पर है कि विपक्ष को अभी मजबूती से सत्तारूढ़ भाजपा के सामने खड़े रहना चाहिए, ताकि संसद और संसद के बाहर (जिन राज्यों में चुनाव होने हैं) वहां विपक्ष के सामने एक मजबूत विकल्प तैयार हो सके। वे प्रमुख विपक्षी दलों के कई नेताओं से मुलाकात कर सकती हैं। बहरहाल, दिल्ली में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ममता बनर्जी कांग्रेस और टीएमसी के बीच तनातनी के बाद सोनिया गांधी से मिलती हैं या नहीं। हाल के हफ्तों में गोवा, त्रिपुरा, असम और यहां तक कि उत्तर प्रदेश में कई कांग्रेस नेता तृणमूल में शामिल हुए हैं।

एक सांसद ने बताया ‘दीदी’ (ममता बनर्जी) जिन नेताओं से मिलने वाली है उसकी फेहरिस्त लंबी है। उन्होंने कहा 'इस बार वे चौंका सकती हैं'। टीएमसी प्रमुख जब पिछली बार जुलाई में दिल्ली आईं थीं, तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कमलनाथ और आनंद शर्मा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित शीर्ष विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। 

3-पीएम से मुलाकात

ममता बनर्जी की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का कार्यक्रम है। बताया जा रहा है कि वे राज्य के कई मुद्दों पर पीएम से चर्चा करना चाहती हैं।  जिसमें सबसे अहम राज्य को बकाया राशि का भुगतान और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र के विस्तार का मुद्दा शामिल है। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बीते मंगलवार को बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था। ऐसा करने वाला वह दूसरा राज्य बन गया है।