संयुक्त किसान मोर्चा का बयान: अभी पूरी नहीं हुई है उनकी लड़ाई



नई दिल्ली. संयुक्‍त किसान मोर्चा की कोर कमेटी की आज हुई बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. बैठक में लिए गए फैसले और आगे की रणनीति पर अब कल चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले के बाद अब बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जा रही है. बैठक के बाद ही किसानों की आगे की रणनीति का ऐलान किया जाएगा.

संयुक्‍त किसान मोर्चा ने बयान जारी करते हुए कहा था कि अभी उनकी लड़ाई पूरी नहीं हुई है. उन्‍होंने कहा कि जब तक न्‍यूनतम समर्थन मल्‍य की गारंटी वाला कानून लागू नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा. कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को किसानों के धैर्य की ऐतिहासिक जीत करार देते हुए मोर्चा ने कहा, कानून वापसी की संसदीय प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार है.

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संयुक्‍त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार के फैसले का स्‍वागत तो किया है. इसके साथ ही आंदोलन के एक साल के दौरान 700 किसानों की मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया है. संयुक्‍त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि लखीमपुर में किसानों की ‘हत्‍या’ केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये का नतीजा है. मोर्चा ने एक बार फिर केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्‍त करने की मांग दोहराई है. किसान नेता गुरनाम सिंह चडूनी ने कहा है कि हम एमएसपी, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और मृतक किसानों के परिजनों के मुआवजे पर चर्चा करेंगे.

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संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य ऋषि पाल अंबावत ने कहा कि लखीमपुर में जिस तरह से किसानों को मौत के घाट उतारा गया, उसे हम भूल नहीं सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि अजय मिश्रा की बर्खास्‍तगी को लेकर 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाला आंदोलन उसी तरह से होगा. यही नहीं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हमारे सदस्‍य उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड और पंजाब में बीजेपी उम्‍मीदवारों के खिलाफ प्रचार करते रहेंगे.