समझौते की अटकलों पर लगा ब्रेक, चाचा-भतीजा अलग-अलग मना रहें सपा संरक्षक का जन्मदिन



लखनऊ- समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव के इस जन्मदिन का इंतजार लंबे समय से हो रहा था। इसके पीछे एक बड़ी सियासी वजह भी थी। सियासी गलियारों में इस बात को लेकर लगातार चर्चा भी थी कि मुलायम सिंह के जन्मदिन पर चाचा-भतीजा एक होकर मुलायम सिंह को उनके जन्मदिन की सौगात देंगे। अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव भी अलग-अलग मौकों पर इसके संकेत दे रहे थे।

इन दोनों के बयान और संकेतों के आधार पर कहा जा रहा था कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच दूरियां खत्म हो जाएंगी। कहा जा रहा था कि जन्मदिन के मौके पर शिवपाल की पार्टी का सपा में विलय या फिर गठबंधन को लेकर बात बन जाएगी , लेकिन आज की तस्वीरों ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।

मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर जहां अखिलेश यादव लखनऊ में पार्टी कार्यक्रम में केक काटेंगे तो वहीं शिवपाल यादव आज सुबह सैफई के चंदगीराम स्टेडियम में दंगल का आयोजन करा रहे हैं। सपा दफ्तर में अखिलेश के साथ मुलायम मौजूद रहेंगे। जबकि शिवपाल यादव की पार्टी पीएसपीएल में भी हवन-पूजा का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में साफ है कि दोनों, सपा संरक्षक का जन्मदिन अलग-अलग मनाएंगे और इसके साथ ही परिवार के एका होने की तमाम अटकलों को फिलहाल विराम लग गया है।

सबसे पहले शिवपाल ने दिया था समझौते का संकेत

आज से ठीक 24 दिन पहले 30 अक्टूबर को सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा लेकर मेरठ पहुंचे शिवपाल यादव ने था कि जो मुलायम सिंह कहेंगे वह वे मानेंगे। तब शिपवापल सिंह यादव ने कहा था कि, 'मैंने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से बात की, उन्होंने पूछा कब एक हो रहे हो? मैंने कहा अखिलेश को बुला लो हम तीनों लोग बात कर लेंगे। नेताजी ने कहा कि अगर वे (अखिलेश यादव) मान लेंगे तो ठीक है नहीं तो मैं आपका प्रचार करूंगा।अब जो नेताजी कहेंगे वो मैं मानूंगा। नेताजी मध्यस्थता कराकर गठबंधन कराएंगे तो करूंगा, नहीं तो नेताजी मेरी पार्टी के लिए प्रचार करने का वादा मुझसे कर चुके हैं।

पिता के जन्मदिन पर चाचा को तोहफा देने के संकेत दिए थे अखिलेश

4 नवंबर को अखिलेश ने चाचा शिवपाल की पार्टी से गठबंधन की बात साफ कर दी थी। दिवाली में सैफई जाकर उन्होंने कहा था कि वह चाचा के साथ लिए तैयार हैं। इटावा में अखिलेश ने शिवपाल यादव की पार्टी से गठबंधन को लेकर कहा था कि “सपा अधिक क्षेत्रीय और छोटे संगठनों के साथ गठबंधन करने की कोशिश करेगी, जाहिर है कि चाचा शिवपाल की भी एक राजनीतिक पार्टी है, हम उनके साथ भी गठबंधन करने की कोशिश करेंगे और उन्हें समाजवादी लोगों से अधिकतम सम्मान मिलेगा। मैं इसका आश्वासन देना चाहता हूं।”

2018 में शिवपाल ने बनाई थी अगल-पार्टी

साल 2012 में बड़ी जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश को सीएम बनाया था। अखिलेश सरकार के अंतिम साल में परिवार का विवाद खुलकर बाहर आ गया। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में सत्ता का संघर्ष शुरू हुआ था। इस संघर्ष में चाचा व भतीजा ने अलग-अलग राह पकड़ ली थी। अखिलेश यादव का पूरा अधिकार सपा पर हो गया था जबकि शिवपाल यादव ने वर्ष 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी। वैसे शिवपाल की पार्टी का अभी तक कोई खास प्रदर्शन भले न रहा रहा हो, लेकिन उनकी पार्टी सपा के वोट जरूर काट रही है।