UAE में चीन के निर्माण कार्य से टेंशन में अमेरिका, कहा- सैन्य अड्डा बना रहा 'ड्रैगन', तुरंत रोकें काम

अबू धाबी

चीन संयुक्त अरब अमीरात में सैन्य अड्डा बना रहा है जिसे लेकर अमेरिका की चिंता बढ़ी हुई हैं। अमेरिका का बाइडन प्रशासन यूएई पर अबू धाबी के पास चीनी बंदरगाह परियोजना पर निर्माण कार्य को रोकने के लिए दबाव बना रहा है। माना जा रहा है कि इसके पीछे चीन के सैन्य उद्देश्य छिपे हो सकते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट ने शुक्रवार को इसका खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका खुफिया एजेंसियों ने खलीफा पोर्ट पर एक बड़ी बिल्डिंग के निर्माण के लिए एक विशालकाय गड्डे के खोदे जाने का पता लगाया है।



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यह जगह अबू धाबी के उत्तर में 80 किमी की दूरी पर स्थित है जहां चीन के COSCO शिपिंग समूह ने एक बड़ा कमर्शियल कंटेनर टर्मिनल बनाया है जिसका संचालन शुरू हो चुका है। कहा जा रहा है कि इस साल की शुरुआत में जांच से बचने के लिए इस साइट को कवर किया गया था। अज्ञात सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को डर है कि चीन व्यापार सौदों और वैक्सीन कूटनीति के माध्यम से वैश्विक प्रभाव हासिल करने के अपने उद्देश्यों के तहत तेल संपन्न देश में एक सैन्य उपस्थिति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।

यूएई ने कहा- 'सैन्य अड्डे' के लिए न समझौता, न इरादा

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अमेरिका में अधिकारियों की बैठकों और यात्राओं का एक दौर शुरू हो गया है। साथ ही वाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि चीन की सैन्य उपस्थिति दो पुराने सहयोगियों के बीच संबंधों को खतरे में डाल सकती है। सूत्रों का कहना है कि यूएई सरकार चीन की गतिविधि की सैन्य प्रकृति से अनजान है। वाशिंगटन में संयुक्त अरब अमीरात दूतावास के एक प्रवक्ता ने अखबार को बताया कि 'चीनी सैन्य अड्डे या किसी तरह की चौकी की मेजबानी करने के लिए यूएई ने न ही कोई समझौता, योजना या वार्ता की है और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है।'

खाड़ी देशों में पहुंच बना रहा चीन

अमेरिका में चीन के दूतावास ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई और अगस्त में अबू धाबी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद के साथ बातचीत के दौरान देश में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी। बाइडन ने एमबीजेड को बताया था कि चीन की गतिविधि उनकी संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है। चीन खाड़ी देशों के बीच अपनी पहुंच को मजबूत करने में जुटा है। चीन मिस्र और सऊदी अरब में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने और ईरान के संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्र के लगभग हर देश के लिए एक भागीदार की भूमिका निभा रहा है।